परिवार

सांता क्लॉज से बच्चे बहुत प्यार करते हैं । इसका सबूत है उन्हें हर साल मिलने वाली चिट्ठियां । दुनियां के अलग - अलग हिस्सों में सांता क्लॉज डाक घर भी मौजद हैं । जहां बच्चे क्रिसमस के मौके पर अपना पत्र पोस्ट करते हैं । एक ऐसा ही पत्र यहां प्रकाशित किया जा रहा है । जिसे एक छोटी सी बच्ची ने लिखा है ।


प्यारे सांता ,
अभी छोटी हूं मैं । पर इतनी भी नहीं कि आसपास क्या चल रहा यह न समझू । इस साल मैं हाई स्कूल में चली जाउंगी । मम्मी पापा सोचते हैं कि अब मेरा ज्यादा ख्याल रखना होगा । अच्छा सांता सुनो , इस साल मुझे आपसे कुछ ऐसा चाहिए जो न केवल मेरे लिए बल्कि मेरी जैसी दूसरी लड़कियों की जिंदगी के लिए अच्छा होगा । मेरी तमन्ना है . . .

पढ़ने दो , शादी की जल्दी नहीं 
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मेरे पापा - मम्मी तो अच्छे हैं । मेरी सारी खुशियों को ख्याल रखते हैं । लेकिन सुनीता आंटी हैं न । वहीं जो घर के कामों में मम्मी की मदद करती हैं , उनकी बेटी सोना मेरी ही उम्र की है । सुनीता आंटी उसकी एक दो साल में शादी कर देंगी ।
  पर उसे तो पढ़ना है । वह कह रही थी कि उसकी अम्मा को लगता है कि जल्दी शादी कर देने से उसका जीवन सुरक्षित हो जाएगा । यह सब तो मुझे नहीं पता पर मैं इतना चाहती हूं कि उसे पढ़ने दो , बड़ी होने दो । अभी हम दोनों को साथ में खेलने दो ।

दहेज हम ही क्यों दें
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सांता आपको पता है मेरे मम्मी - पापा ने दीदी की शादी के लिए दहेज जमा कर रहे हैं । मम्मी अक्सर पापा से कहती हैं कि मुझे यह नहीं चाहिए बेटी की शादी के लिए रख देते हैं । मम्मी को लगता है कि यह रिवाज है । कभी ऐसा क्यों नहीं होता जब लड़की के माता - पिता ने लड़के वालों को कहा हो , हमने बेटी को इतना पढ़ाया लिखाया और लायक बनाया इसलिए दहेज में यह सब चीजें और रकम हमें भी चाहिए । ऐसा कुछ रिवाज कर दो न सांता ।

भेदभाव न हो हमसे
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मेरी फ्रेंड है रामी । उसकी दादी लड़की हो , ऐसे . रहो , ऐसा मत करो । ऐसे मत बैठो , बहस मत करो , यह मत पहनो । यह सब कहकर अक्सर रोकती - टोकती हैं । डांटती भी हैं कि लड़की जात है थोड़ा तो तमीज सीख ।
 कई बार रामी रोती है यह बोलकर कि उसकी दादी भइया से कुछ क्यों नहीं कहती ।  भइया एक गिलास पानी भी खुद नहीं पीता _ _ जबकि वह मुझसे बड़ा है । मैं छोटी हूं फिर भी मम्मी की मदद करती हूं ।

 सरक्षित माहौल
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दीदी टयशन के लिए जाती हैं और अगर पांच मिनट भी देर से घर आती हैं तो मां सारा काम छोड़ घर के बाहर घूमने लगती हैं । कभी पापा को फोन लगाती हैं तो कभी ट्यूशन वाले सर को । कहती हैं , जमाना खराब है । लड़कियों के लिए माहौल सही नहीं । रोजाना कैसी - कैसी घटनाओं की खबर आती है ।
  कई बार तो इस बात को लेकर मां और दीदी के बीच बहस भी हो जाती है । सांता ऐसा कुछ करो कि यह माहौल हम लड़कियों के लिए भी सही हो जाए । लोग हमारी भी इज्जत करें , हमारा भी सम्मान करें । मैं बड़े होने पर दीदी जैसे जीना नहीं चाहती । मुझे सुरक्षित माहौल चाहिए ।
- आपकी लाडली